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सांविधानिक विधि
उपराष्ट्रपति का इस्तीफ
« »22-Jul-2025
उपराष्ट्रपति का त्यागपत्र “स्वास्थ्य संबंधी चिंता के कारण” जगदीप धनखड़ |
चर्चा में क्यों?
जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं और चिकित्सीय सलाह का हवाला देते हुए 21 जुलाई, 2025 को भारत के उपराष्ट्रपति पद से त्यागपत्र दे दिया । इस त्यागपत्र के साथ, वे भारतीय इतिहास में अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले ही पद छोड़ने वाले केवल तीसरे उपराष्ट्रपति बन गए हैं। उन्होंने भारत के संविधान,1950 (COI) के अनुच्छेद 67(क) के अधीन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपना त्यागपत्र सौंप दिया है।
- यह त्यागपत्र ऐतिहासिक रूप से महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि यह उनके विवादास्पद कार्यकाल के बाद हुआ है, जिसमें उन्होंने संसदीय सर्वोच्चता की जोरदार वकालत की थी और न्यायिक अतिक्रमण की आलोचना की थी, विशेष रूप से उच्चतम न्यायालय के मूल ढाँचे के सिद्धांत और कॉलेजियम प्रणाली को निशाना बनाया था।
भारत के उपराष्ट्रपतियों ने त्यागपत्र क्यों दिया?
क्र. सं. |
उपराष्ट्रपति का नाम |
त्यागपत्र की तारीख |
त्यागपत्र का कारण |
महत्त्व |
परिणाम |
1 |
वी. वी. गिरि |
20 जुलाई 1969 |
स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने हेतु |
मध्यावधि में त्यागपत्र देने वाले पहले उपराष्ट्रपति |
भारत के राष्ट्रपति निर्वाचित (1969–1974) |
2 |
आर. वेंकटरमण |
जुलाई 1987 |
राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने हेतु |
मध्यावधि में त्यागपत्र देने वाले दूसरे उपराष्ट्रपति |
राष्ट्रपति निर्वाचित (1987–1992) |
3 |
शंकर दयाल शर्मा |
24 जुलाई 1992 |
राष्ट्रपति निर्वाचित होने के उपरांत त्यागपत्र |
राष्ट्रपति पद ग्रहण करने हेतु त्यागपत्र |
राष्ट्रपति के रूप में कार्यकाल (1992–1997) |
4 |
भैरों सिंह शेखावत |
21 जुलाई 2007 |
राष्ट्रपति चुनाव में हार |
राष्ट्रपति पद की दौड़ हारने के बाद त्यागपत्र देने वाले पहले उपराष्ट्रपति |
2010 में निधन तक सार्वजनिक जीवन में बने रहे |
5 |
जगदीप धनखड़ |
21 जुलाई 2025 |
स्वास्थ्य संबंधी कारण; चिकित्सकीय परामर्श के आधार पर |
मध्यावधि में इस्तीफ़ा देने वाले तीसरे उपराष्ट्रपति; स्वास्थ्य कारणों से त्यागपत्र देने वाले पहले व्यक्ति |
पद से चिकित्सकीय आधार पर विरल त्यागपत्र का उदाहरण |
उपराष्ट्रपति के त्यागपत्र के पश्चात् आगे क्या होता है?
- चुनाव आयोग सांविधानिक आदेश के अधीन "यथाशीघ्र" उपराष्ट्रपति चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करेगा, तथा वर्तमान संसदीय गणित को देखते हुए सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन के लिये विजय सुनिश्चित मानी जा रही है।
- राज्यसभा का कार्य संचालन उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह द्वारा पूर्ण अध्यक्षीय अधिकारों के साथ सामान्य रूप से जारी रहेगा, जिससे अंतरिम अवधि के दौरान कोई सांविधानिक शून्यता या विधायी व्यवधान नहीं होगा।
- नये उपराष्ट्रपति आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली का उपयोग करते हुए गुप्त मतदान के माध्यम से सभी सांसदों द्वारा निर्वाचक मंडल के मतदान के माध्यम से कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से पूरे पाँच वर्ष का कार्यकाल पूरा करेंगे।
- राष्ट्रपति उत्तराधिकार क्रम यथावत् बना रहता है और कार्यपालिका की किसी प्रकार की कार्यप्रणाली पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता, जिससे यह स्पष्ट होता है कि नया उपराष्ट्रपति शपथ लेने तक भी सांविधानिक तंत्र की दृढ़ता पूर्ण रूप से बनी रहती है और संस्थागत सामान्यता सुनिश्चित रहती है।
उपराष्ट्रपति के लिये संविधान में क्या उपबंध हैं?
अनुच्छेद 63 - उपराष्ट्रपति का पद
- भारत के उपराष्ट्रपति के सांविधानिक पद स्थापित करता है।
- देश का दूसरा सर्वोच्च सांविधानिक पद।
अनुच्छेद 64 - राज्य सभा का पदेन सभापति
- उपराष्ट्रपति राज्य सभा के पदेन सभापति के रूप में कार्य करता है।
- एक साथ कोई अन्य लाभ का पद धारण नहीं कर सकते।
- जब वह राष्ट्रपति के कर्त्तव्यों का निर्वहन कर रहा हो, उस समय वह सभापति के कार्य नहीं कर सकता और न ही उसका वेतन प्राप्त कर सकता है।
अनुच्छेद 65 - राष्ट्रपति के रूप में कार्य करना
- राष्ट्रपति पद की आकस्मिक रिक्ति की स्थिति में उपराष्ट्रपति कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है।
- राष्ट्रपति की अनुपस्थिति, बीमारी या अन्य कारणों से उनके कर्तव्यों का निर्वहन करता है।
- ऐसी अवधि में राष्ट्रपति के सभी अधिकारों और विशेषाधिकारों का उपभोग करता है।
- कार्यवाहक राष्ट्रपति रहते हुए उसे राष्ट्रपति के वेतन और भत्ते प्राप्त होते हैं।
अनुच्छेद 66 - उपराष्ट्रपति का निर्वाचन
खण्ड (1) - निर्वाचक मंडल:
- संसद के दोनों सदनों के सदस्यों द्वारा निर्वाचित।
- इसमें राज्यसभा और लोकसभा के निर्वाचित और मनोनीत दोनों सदस्य सम्मिलित हैं।
- राज्य विधानमंडल इसमें भाग नहीं लेते (राष्ट्रपति चुनावों के विपरीत)।
खण्ड (3) - पात्रता की शर्तें:
- भारत का नागरिक होना चाहिये।
- न्यूनतम आयु 35 वर्ष।
- राज्यसभा सदस्य के रूप में चुनाव के लिये अर्हता प्राप्त।
- संघ/राज्य सरकारों के अधीन कोई लाभ का पद धारण नहीं कर सकते।
- किसी भी संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में मतदाता के रूप में रजिस्ट्रीकृत होना चाहिये।
अनुच्छेद 67 - कार्यकाल और त्यागपत्र
खण्ड (क) - त्यागपत्र के उपबंध:
- उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति को संबोधित अपने हस्ताक्षर सहित पत्र द्वारा त्यागपत्र दे सकता हैं।
- लिखित संसूचना के अतिरिक्त कोई विशिष्ट प्रारूप विहित नहीं है।
- राष्ट्रपति को पत्र प्राप्त होते ही त्यागपत्र प्रभावी हो जाता है।
कार्यकाल:
- पदभार ग्रहण करने की तिथि से पाँच वर्ष का कार्यकाल।
- उत्तराधिकारी के कार्यभार ग्रहण करने तक पद पर बने रहते हैं।
- नये निर्वाचित उपाध्यक्ष पूरे पाँच वर्ष का कार्यकाल पूरा करते हैं, पूर्ववर्ती के शेष कार्यकाल को नहीं।
अनुच्छेद 69 - पद की शपथ
- उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति या राष्ट्रपति द्वारा नामित व्यक्ति के समक्ष पद की शपथ लेता है।
- पद ग्रहण करने से पूर्व शपथ लेना आवश्यक है।
- कर्त्तव्यों को ग्रहण करने के लिये सांविधानिक आवश्यकता।
नए उपराष्ट्रपति के लिये निर्वाचन की प्रक्रिया
समयरेखा और प्राधिकरण
- संविधान में निर्वाचन हेतु कोई निश्चित समयसीमा नहीं है।
- शर्त: निर्वाचन "यथासंभव शीघ्र" संपन्न किया जाना चाहिये।
- निर्वाचन आयोग द्वारा कार्यक्रम की घोषणा की जाती है।
- निर्वाचन राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति निर्वाचन अधिनियम, 1952 के अंतर्गत संपन्न होता है।
मतदान की प्रणाली
- स्थान: संसद भवन, नई दिल्ली।
- रीति: एकल संक्रमणीय मत के साथ आनुपातिक प्रतिनिधित्व का उपयोग करते हुए गुप्त मतदान।
- प्रक्रिया: सांसद उम्मीदवारों को वरीयता क्रम के अनुसार रैंक देते हैं।
- वोट मूल्य: निर्वाचन क्षेत्र के आकार की परवाह किये बिना सभी सांसदों के लिये समान मूल्य।
कोटा गणना (Quota Calculation)
- सूत्र: (कुल वैध वोट ÷ 2) + 1 (भिन्नांश की गणना नहीं की जाती)
- निष्कासन प्रक्रिया: सबसे कम प्रथम वरीयता वोट पाने वाले उम्मीदवार को निष्कासित कर दिया जाएगा।
- स्थानांतरण: द्वितीय वरीयता के आधार पर वोट स्थानांतरित किये जाते हैं।
- विजय: कोटा पार करने वाले पहले उम्मीदवार को निर्वाचित घोषित किया जाता है।
रिटर्निंग ऑफिसर (Returning Officer)
- संसद के किसी एक सदन (लोकसभा या राज्यसभा) के महासचिव को रोटेशन के आधार पर नियुक्त किया जाता है।
- स्थापित परंपरा के अनुसार नियुक्त किया जाता है।
अनुच्छेद 67- उपराष्ट्रपति को पद से हटाने की प्रक्रिया (Removal Provisions)
सांविधानिक प्रक्रिया
- राज्यसभा में प्रस्ताव को सदन के कुल सदस्यों के बहुमत से पारित किया जाना अनिवार्य है।
- पारित प्रस्ताव को लोकसभा द्वारा स्वीकृत (agreed to) किया जाना चाहिये।
- प्रस्ताव लाने से कम से कम 14 दिन पूर्व लिखित सूचना देना आवश्यक है।
- यह प्रक्रिया राष्ट्रपति के महाभियोग की प्रक्रिया से भिन्न है।
ऐतिहासिक घटना
- अब तक किसी भी उपराष्ट्रपति को इस सांविधानिक प्रक्रिया के अंतर्गत पदच्युत नहीं किया गया है।
- यह प्रक्रिया लोकसभा अध्यक्ष को हटाने की प्रक्रिया के समान है।
- संविधान सभा की बहसों में इस प्रक्रिया की प्रक्रियात्मक स्पष्टता को लेकर चर्चा की गई थी।